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सिगरेट और हुक्का पीने के शौकीन लोग हो जाए सावधान, बढ़ सकता है इस जानलेवा बीमारी का खतरा

People who are fond of smoking cigarettes and hookah should be careful, the risk of this deadly disease may increase

यदि आप हुक्का या सिगरेट का सेवन करने के शौकीन हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि यंग ऐज में सिगरेट तथा हुक्के के सेवन से 50 साल की उम्र में लंग कैंसर का खतरा लगभग 5 गुना तक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं राजधानी दिल्ली NCR क्षेत्र में प्रदूषित वातावरण की वजह से लोग लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं।

लंग कैंसर बीमारी के गिरफ्त में आ रहे हैं लाखों लोग

आपको बता दें कि हर साल देश भर में लगभग डेढ़ से दो लाख लोग लंग कैंसर की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं तथा यह विश्व की दूसरी ऐसी बड़ी बीमारी है जिससे ग्रसित लोग सबसे अधिक काल का ग्रास बन रहे हैं। इस बात पे अम्ल करना इसलिए भी जरुरी है कि सीनियर डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित तथा डॉक्टर इंदर मोहन चुग का ये सब कहना है। यह दोनों सीनियर डॉक्टर लंग कैंसर से बचाव के प्रति बहुत से लोगों को जागरुक कर रहे हैं। बहादुरगढ़ में आयोजित एक सेमिनार में ये दोनों डॉक्टर लोगों को जागरूक करने पहुंचे थे।

50 साल की उम्र में बढ़ सकता है लंग कैंसर का खतरा

डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित ने बताया कि आजकल स्कूल तथा कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे सिगरेट पीना तथा नौजवान हुक्का पीने को फैशन समझने लगे हैं। किन्तु जवानी में सिगरेट तथा हुक्के के सेवन का आदि होने से 50 साल की उम्र में लंग कैंसर का खतरा लगभग 5 गुना तक बढ़ जाता है। यह एक जानलेवा बीमारी है तथा भारत में हर साल लाखों की संख्या में लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गवा रहे हैं।

डॉक्टर इंद्रमोहन चुग का कहना है कि बहुत सारे मरीज को अर्ली स्टेज पर लंग कैंसर का पता ही नहीं लग पाता है। क्योंकि इसके लक्षण बिल्कुल टीबी की बीमारी के तरह ही होते हैं। डॉक्टर में भी इस बीमारी को लेकर जागरूकता की जरूरत है ताकि मरीज को सही वक़्त पर सही इलाज मिल सके। उन्होंने आगे बताया कि अधिकतर लंग कैंसर के बीमारी के मरीजों को इसका पता तीसरी या चौथी स्टेज पर ही पता चल पाता है। जिसके वजह से इस बीमारी से ज्यादा लोगों की जान जा रही है। डॉक्टर चुग ने आम लोगों से हर दो साल में अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहने की भी सलाह दी है, ताकि लंग कैंसर जैसी घातक बीमारी का समय रहते पता चल सके तथा समय पर इलाज शुरू हो सके।

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